मशगूल है ज़माने में कुछ लोग अभी, जो बातें कभी फ़ुरसत की किया करते थे ।
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ज़हन में पड़े वहम के छालें, अक्सर लोग पेरों तराशते है !
कारीगर था, बना के ‘घर’ चला गया । लोग आए, घर को ‘मका’ बना दिया … Read More